बच्चों और युवा होते वयस्कों को उनकी उम्र के अनुसार उनके जीवन में सही समय पर यौन शिक्षा दी जानी चाहिए। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि यौन शिक्षा सभी के लिए जरूरी और अति महत्वपूर्ण है। विशेषकर, बच्चों और किशोर वयस्कों को उनकी उम्र के अनुसार उनके जीवन में सही समय पर यौन शिक्षा दी जानी चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है, क्योंकि एक निश्चित उम्र में, बच्चे अपने आस-पास होने वाली हर चीज को जानने के बारे में बहुत उत्सुक होते हैं, जिसमें उनके शरीर में होनेवाले बदलाव भी शामिल हैं। इस प्रकार, यह सुनिश्चित करना माता-पिता की जिम्मेदारी बन जाती है कि उनके बच्चों को सही समय पर सही मात्रा में जानकारी दी जाए ताकि वे इसके लिए बाहरी साधनों पर निर्भर न रहें, जो उन्हें नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। हालांकि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए यहां एक गाइड दी गई है, जिसे पढ़कर आप जान सकते हैं कि बच्चों को उनकी एक निश्चित उम्र में सेक्स और कामुकता के बारे में क्या क्या सीखना चाहिए।
जननांगों सहित शरीर के सभी अंगों का नाम बताने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें शरीर के अंगों के सही नाम सिखाकर, आप यह कन्फर्म कर सकते हैं कि वे हेल्थ इश्यूज, इंज्यूरी या यौन शोषण के बारे में बताने के लिए बेहतर तरीके से समझने और समझाने में सक्षम होंगे। इससे उन्हें यह समझने में भी मदद मिलती है कि शरीर के ये अंग अन्य अंगों की तरह ही नॉर्मल हैं, जैसे बांह या पैर या और कुछ ।
बच्चो को उनकी समझ और रुचि के स्तर के आधार पर, आप बच्चों को उनकी बर्थ स्टोरी के बारे में बता सकते हैं। यह मतविचार कीजिए कि आपको एक ही बार में सब कुछ कवर करना है। छोटे बच्चों की रुचि सेक्स के बजाय प्रेग्नेंट महिला के पेट और शिशुओं में होती है। इसके अलावा, उन्हें यह भी समझना आना चाहिए कि उनका शरीर उनका है और उनकी अनुमति के बिना कोई भी उनके शरीर को स्पर्श नहीं सकता है। साथ ही, इस उम्र तक, बच्चों को किसी और को छूने से पहले उनसे अनुमति लेना आना सीखना चाहिए और इसकी सीमाओं के बारे में सीखना शुरू कर देना चाहिए।
बच्चों को रिश्तों में गोपनीयता,नग्नता और दूसरों के प्रति सम्मान करने की बुनियादी सामाजिक परंपराओं के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्हें इस उम्र की समाप्ति तक तरुणावस्था की शुरुआत के बारे में भी बेसिक शिक्षा दी जानी चाहिए।
सेक्स का एक बड़ा घटक है जीसकी अपनी व्यक्तिगत सीमाएं हैं। बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि “हां” या “नहीं” कहने में कोई शर्म की बात नहीं है और उन्हें ऐसा कहने में कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए और न ही किसी और को शर्मिंदा करना चाहिए।
किशोरावस्था के बच्चों को पीरियडस , नाइट फॉल और स्लीप ऑर्गेज्म आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी जानी चाहिए। उन्हें गर्भावस्था, यौन संचारित रोगों के बारे में, विभिन्न गर्भनिरोधक विकल्पों के बारे में और सेफ सेक्स करने के लिए उनका उपयोग करने के तरीकों के बारे में भी पता होना चाहिए। उन्हें सदैव एक हेल्दी रिलेशनशिप और अनहेल्दी रिलेशनशिप के बीच के अंतर को लगातार समझना और सीखना जारी रखना है। इसमें प्रेशर और हिंसा के बारे में जानना और आपसी सहमति से सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने का अर्थ समझना भी तो शामिल है।
यह सोचना कि योनि में प्रवेश करने वाला लिंग ही सेक्स की एकमात्र सत्यापित परिभाषा है, पूरी तरह से तथ्यहीन है क्योंकि इसमें गे या लेस्बियन कपल शामिल नहीं हैं जबकि उनकी अपनी भी एक दुनिया होती है । इसके अलावा, यह परिभाषा उन सीमित जोड़ों पर भी लागू नहीं होती, जिनके लिए सेक्स का अर्थ सिर्फ संतानोत्पत्ति की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करना होता है, इसका आनंद लेना कदापि नहीं।
वास्तविक जीवन में सेक्स लगभग उतना सहज और सुलभ नहीं है, जितना कि पोर्न फिल्मों में इसका चित्रण किया जाता है। सच्चाई तो यह है कि इसमें बहुत सारे उतार-चढ़ाव, टकराहट, बातें और रहस्यमयता आती यही है। पोर्न देखकर मन में सेक्स के गलत विचार आते हैं, जो काल्पनिक उम्मीदों और अवास्तविक तथ्यों को ही बढ़ावा देता है।
किसी को भी यह नहीं सिखाया जाता है कि महिलाओं के लिए ऑर्गेज्म प्राप्त करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। हालांकि, निश्चित रूप से कुछ महिलाएं हैं जो अकेले ही पेनेट्रेशन के माध्यम से संभोग कर सकती हैं, जबकि दूसरों के लिए, इसमें बहुत अधिक समय लगता है ।
यौन शिक्षा sex education